समाजवादी पार्टी कैंप में बेचैनी है. लोकसभा चुनाव सिर पर है. लेकिन पार्टी के अंदर तनाव है. बीजेपी से लड़ने के बदले पार्टी के नेता आपस में लड़ने भिड़ने को तैयार हैं. राज्यसभा के तीन उम्मीदवारों का ऐलान होते ही घर का झगड़ा अब सड़क पर है. तनातनी तो लंबे समय से चल रही थी. बस राज्यसभा के टिकट ने उसे हवा दे दी. PDA के नाम पर अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खुल गया है. अखिलेश यादव ही कहते रहते हैं कि उनका PDA इस बार NDA को हराएगा. वे PDA का मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक बताते रहे हैं.
सबसे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव को चिट्ठी लिख दी. अखिलेश को भेजने से पहले उन्होंने इसे मीडिया को दे दिया. चिट्ठी लिखने के पीछे उनका असली मकसद भी यही था. वे चाहते थे कि सब जान जाएं कि स्वामी प्रसाद मौर्य अब नाराज चल रहे हैं. उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. चिट्ठी में नाराज होने का कारण उन्होंने कुछ और बताया है जबकि असली वजह कुछ और है.
मौर्य के मन में थी राज्य सभा जाने की चाह
स्वामी चाहते थे कि अखिलेश यादव उन्हें राज्यसभा भेज दें. इसके लिए वे लंबे समय से लॉबिंग कर रहे थे. सनातन धर्म, रामायण और भगवान राम के खिलाफ वे लगातार विवादित बयान देते रहे हैं. इस बहाने वे सामाजिक न्याय का मसीहा की अपनी इमेज बनाने में लगे थे. उन्हें लग रहा था PDA के फार्मूले पर वे राज्यसभा जाने के लिए सबसे योग्य नेता हैं. पर अखिलेश यादव ने तो उनके बारे में एक बार भी नहीं सोचा.
इसी दौरान पार्टी के सीनियर लीडर मनोज पांडे से लेकर राकेश प्रताप सिंह तक उनके खिलाफ लगातार बोलते रहे. दोनों नेताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य को मानसिक रूप से बीमार तक कह दिया. कई सवर्ण नेताओं ने उन्हें पार्टी से बाहर करने की भी मांग की. स्वामी इस बात से भी दुखी थे कि उनके पूर्व दामाद नवल किशोर शाक्य को लोकसभा का टिकट दे दिया गया है. लेकिन उन्हें सबसे बड़ा झटका तब लगा जब राज्य सभा के लिए उनके नाम पर विचार तक नहीं किया गया. स्वामी प्रसाद मौर्य पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. इसके बावजूद अखिलेश ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया.
अखिलेश यादव से नाराज पल्लवी पटेल
अखिलेश यादव के लिए पल्लवी पटेल भी नई मुसीबत बन गई है. वे अपना दल कमेरावादी पार्टी से विधायक हैं. मन ही मन वे भी राज्य सभा जाना चाहती थीं. पिछले पांच दिनों से वे अखिलेश यादव से मिलने की कोशिश कर रही थीं. अखिलेश से मिलने का समय उन्हें मंगलवार को मिला. तब तक समाजवादी पार्टी अपने तीन उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी थी. इसीलिए उन्होंने अखिलेश यादव से मिलने से मना कर दिया. अब पल्लवी पटेल कह रही हैं कि वे समाजवादी पार्टी के लिए राज्य सभा में वोट नहीं करेंगी. उन्होंने समाजवादी पार्टी नेतृत्व पर अहंकारी होने का भी आरोप लगाया है.
‘समाजवादी पार्टी के लिए PDA सिर्फ नारा’
अखिलेश यादव ने इस बार किसी पिछड़े या मुस्लिम को राज्यसभा का टिकट नहीं दिया है. पल्लवी पटेल का आरोप है कि समाजवादी पार्टी के लिए PDA सिर्फ नारा है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने एक भी पिछड़े समाज के नेता को टिकट नहीं दिया. पल्लवी पटेल खुद राज्य सभा जाना चाहती थीं. और अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए विधानसभा उप चुनाव का टिकट. पिछले चुनाव में पल्लवी पटेल ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के हरा कर तहलका मचा दिया था. वे मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल की छोटी बहन हैं. कहा जा रहा है कि पल्लवी पटेल के पति पंकज निरंजन इन दिनों बीजेपी के संपर्क में हैं.
राज्यसभा के टिकट को लेकर पर SP में घमासान
जया बच्चन और आलोक रंजन को राज्य सभा का टिकट देकर अखिलेश यादव ने नई मुसीबत मोल ले ली है. समाजवादी पार्टी के अंदर और बाहर घमासान मचा है. पार्टी के कई नेता चुप हैं पर मन ही मन बहुत नाराज हैं. मुस्लिम बिरादरी के नेताओं का भी यही हाल है. एक विधायक ने कहा वोट हमारा और राज किसी और का. जया बच्चन और आलोक रंजन दोनों ही गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं.
जया बच्चन को तो समाजवादी पार्टी लगातार पांचवीं बार राज्यसभा भेज रही है. उनको एमपी बनाने से कोई राजनैतिक मैसेज नहीं जाता है. पार्टी के दूसरे विधायक ने कहा कि हम पिछड़े की बात करते हैं पर टिकट कहां मिला ! आलोक रंजन यूपी के चीफ सेक्रेटरी रहे हैं. जया बच्चन और आलोक रंजन दोनों कायस्थ बिरादरी से आते हैं. अगर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का मौका आया तो फिर अखिलेश यादव संकट में आ सकते हैं